बुजुर्ग !?पार्ट 01
बुजुर्ग..?! पार्ट02::अशोकबिन्दु
आदमी की असलियत बुढ़ापा आने पर दिखती है कि वास्तव में उसने क्या कमाया अपने जीवन में?
हमारे जीवन में दिनचर्या और आदतों का प्रभाव मरते दम तक रहता है संतों की माने तो इस हाड़ मास शरीर के मरने के बाद भी उससे छुटकारा नहीं मिलता हमने जीवन में क्या किया है इसका असर स्पष्ट रूप से बुढ़ापे में लिखता है।
40-50 के बाद स्पष्ट होता है कि हमने जीवन में क्या कमाया हमने जीवन में क्या ग्रहण किया? अनेक लोगों को देखा गया है कि इससे पूर्व अपने इंद्रियों,दिमाग ,बाहु बल, धन बल, पद बल आदि के माध्यम न जाने क्या-क्या समाज में प्रदर्शन करते रहे हैं।
किशोरावस्था तूफानी अवस्था होती है, इसके बाद 25 साल तक का जीवन भी भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।इस समय के खवाब, चिंतन, मनन, स्वप्न, नजरिया, आस्था आदि मरने के बाद भी छुटकारा नहीं छोड़ता। अनेक बुजुर्ग देखे गए हैं।जिनका शरीर, इंद्रियां, दिमाग कमजोर हो चुका होता है लेकिन कुछ आदतें, नजरिया, आस्था जो पहले जी होती है, उसका असर मन में खूब आ आकर परेशान करता है।बुढ़ापा पर हम उनसे छुटकारा चाहते हैं लेकिन छुटकारा नहीं मिलता।वह अचेतन मन की काफी गहराई तक प्रवेश कर चुका होता है।उसको भूलने के लिए न जाने क्या क्या प्रयत्न किए जाते हैं लेकिन उससे छुटकारा नहीं मिलता हां, वह कुछ समय के लिए दब अवश्य जाता है। एक बुजुर्ग थे, डॉक्टर ने उन्हें मना कर दिया कि मीठा खाना छोंड़ दो लेकिन उनको उसकी तलब लगी रहती। किशोरावस्था, युवावस्था में उन्होंने रसगुल्ला, छेना आदि खाने पर कंट्रोल नहीं क्या था।जब इच्छा होती थी, खा लेते थे लेकिन अब बुढ़ापा पर क्या करें? मन में काम भावना अब भी परेशान कर देती है लेकिन क्या करें?लोक मर्यादा आदि के कारण, शरीर व इंद्रियों की कमजोरी के बाबजूद मन नहीं मानता।
भारत में शिक्षा में जो बदलाव होना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हुआ। मन प्रबन्धन के लिए शिक्षा, कुल व समाज का वातावरण कुछ भी नहीं परोसता। समाज में जो आध्यत्म, धर्मकांड आदि दिखते भी हैं, वे भी सिर्फ भौतिक प्रशिक्षण तक सीमित रह जाते हैं।धर्मस्थल आदि में भी जाते हैं तो वहां भी प्रार्थना भौतिक लालसाओं की पूर्ति के लिए होती है ,मोक्ष के लिए नहीं।
#अशोकबिन्दु
Kaushalya Rani
15-Dec-2021 08:16 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
04-Dec-2021 12:33 AM
बहुत खूबसूरत रचना
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